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Thursday, September 22, 2022

'तेरी खाल गैंडे की तरह मोटी है' कहावत सुनी होगी आपने, कितनी मोटी होती है अब ये भी जान लीजिए

नई दिल्ली: शायद आपने ब्योमकेश बक्शी वाली जासूसी कहानियां पढ़ी होंगी। न भी पढ़ी हों, तो लोगों के मुंह से यह कहते सुना होगा कि उसकी खाल गैंडे की तरह मोटी है। अगर कहानी पढ़ी होगी तो वहां जिक्र आता है, 'वह फैक्ट्री का चौकीदार है और उसकी खाल गैंडे की खाल से भी मोटी है।' आप इसका मतलब भी समझते ही होंगे। खाल का मतलब होता है स्किन यानी शरीर का बाहरी आवरण। अगर कोई इसे कहावत के रूप में कहता है कि यार इसकी खाल गैंडे की तरह मोटी हो गई है तो इसका मतलब वह कटाक्ष कर रहा है कि इस पर किसी बात का असर नहीं होता है। यह एक तरह बेगैरत हो गया है। अब आगे जान लीजिए कि सच में कि उस पर किसी चीज का असर नहीं होता। 3500 किलो तक वजनी होते हैं गैंडे अंग्रेजी में गैंडे को rhinoceros कहते हैं। दुनिया में इनकी पांच प्रजातियां पाई जाती हैं। कुछ गैंडे एक सींग और कुछ दो सींग के होते हैं। गैंडों का वजन औसतन 10 क्विंटल यानी 1000 किलो से अधिक होता है। तंदुरुस्त गैंडे 3500 किलो के भी हो सकते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि गैंडे की खाल इतनी मोटी होती है कि 40-80 एमएम की गोली का भी इन पर असर नहीं होता है। ये 6 फीट ऊंचे और करीब 10-11 फीट लंबे हो सकते हैं। भारत में गैंडे मुख्य रूप से असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में पाए जाते हैं। इंसानी नाखून की तरह होती है सींग नर गैंडे को बुल्स कहा जाता है और मादा गैंडे को काऊ कहते हैं। इनकी सींग हमारे नाखूनों की तरह होती है। keratin प्रोटीन से ही इनकी सींग और इंसानों के बाल और नाखून बनते हैं। सफेद गैंडे की सींग हर साल 7 सेमी बढ़ती है और इसकी रेकॉर्ड लंबाई 150 सेमी हो सकती है। सबसे मोटी खाल वाला जानवर अब खाल की बात करते हैं। इनकी खाल कई लेयर में होने के कारण काफी मोटी और मजबूत होती है। हो सकता है आप हाथी से थोड़ा भ्रमित हों लेकिन उससे भी एक इंच मोटी स्किन गैंडे की होती है। जी हां, गैंडे की खाल 2 इंच मोटी होती है। अब जरा अंदाजा लगाइए 2 इंच कितना होता है। हालांकि इनकी देखनी की क्षमता कम होती है। अगर कोई व्यक्ति शांति से 30 मीटर की दूरी पर भी खड़ा हो तो ये देख नहीं पाएंगे। ये मुख्य रूप से सूंघ कर समझते हैं। इन्हें कीचड़ में रहना पसंद है। इससे इन्हें फायदा भी होता है। मिट्टी शरीर पर लगने से इनके शरीर में ठंडक बनी रहती है, साथ ही कीड़े भी नहीं काटते हैं। ये अच्छे तैराक भी होते हैं।


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