नई दिल्ली : वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने रविवार को कहा कि उन्होंने भारत का अगला अटॉर्नी जनरल बनने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। रोहतगी ने कहा कि उनके फैसले के पीछे कोई खास वजह नहीं है। केंद्र ने के.के. वेणुगोपाल (91) की जगह लेने के लिए इस महीने की शुरुआत में रोहतगी को अटॉर्नी जनरल पद की पेशकश की थी। वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त होगा। रोहतगी जून 2014 से जून 2017 तक अटॉर्नी जनरल थे। उनके बाद वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। पिता दिल्ली हाईकोर्ट के थे जज मुकुल रोहतगी दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अवध बिहारी रोहतगी के बेटे हैं। मुकुल रोहतगी को 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, उस समय अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था। बाद में उन्होंने 2002 के दंगों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व किया। साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के पदभार संभालने के बाद उन्हें अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया था। हेमंत सोरेन लेकर प्रणय रॉय की कर चुके हैं पैरवी मुकुल रोहतगी झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन का केस भी लड़ चुके हैं। उन्होंने अवैध खनन आवंटन के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री की तरफ से पैरवी की थी। इसके अलावा मुकुल रोहतगी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से जुड़े एक मामले एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय और राधिका रॉय का भी केस लड़ चुके हैं। इसके अलावा मुकुल रोहतगी ने रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद उनका भी केस लड़ा था। इसके अलावा उन्होंने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का भी ड्रग मामले वाला केस लड़ा था।
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