नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से दुनिया के नेताओं को संबोधित करेंगे। इससे कुछ घंटे पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसी मंच से कश्मीर और आर्टिकल 370 का मुद्दा उछाला है। ऐसे में उन्हें जयशंकर आज पाकिस्तान को करारा जवाब दे सकते हैं। अब तक वह पिछले चार दिनों में 50 से अधिक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में शामिल हो चुके हैं। इस दौरान वह आतंकवाद पर चीन को भी सुना चुके हैं। साथ ही उन्होंने दो टूक कहा कि भारत का UNSC का स्थायी सदस्य नहीं होना वैश्विक निकाय के लिए भी सही नहीं है। उनके बयानों की पहले से ही चर्चा है। ऐसे में भारत के लोग शनिवार को UNGA में होने वाले उनके संबोधन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर रविवार को अमेरिका पहुंचे थे। अब तक के उच्चस्तरीय सत्रों में भारत ने मुख्य रूप से आतंकवाद पर अंकुश, शांति, रक्षा, जलवायु परिवर्तन रोकने संबंधी कार्यक्रम और कोविड-19 टीके के समान वितरण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। आतंकवाद पर चीन को जमकर सुनाया जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र से ही चीन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों पर पाबंदी लगाने का मुद्दा उठता है, तो उन्हें दंड से बचाने का प्रयास किया जाता है। बृहस्पतिवार को उन्होंने कहा कि जवाबदेही से बचने के लिए राजनीति का सहारा लिया जाता है। उनका साफ इशारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को काली सूची में डालने पर चीन की ओर से रोक लगाने की तरफ था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन के मुद्दे पर 15 सदस्यीय यूएन सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा, 'दंड से बचाव के खिलाफ लड़ाई बड़े स्तर पर शांति और न्याय स्थापित करने के लिए अहम है। सुरक्षा परिषद को इस मुद्दे पर स्पष्ट और एकमत से संदेश देना चाहिए।' जयशंकर ने चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, 'जवाबदेही से बचने के लिए कभी राजनीति का सहारा नहीं लेना चाहिए। दोषी को दंड से बचाने के लिए भी नहीं। दुखद है कि हमने हाल में इसी परिषद में ऐसा होते देखा है जब दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक आतंकवादियों पर पाबंदी लगाने की बात हुई थी।' भारत की स्थायी सदस्यता पर भी खरी-खरी विदेश मंत्री ने एक अन्य प्लेटफॉर्म से कहा कि भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं होना केवल ‘हमारे लिए ही नहीं’ बल्कि इस वैश्विक निकाय के लिए भी सही नहीं है और इसमें सुधार बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। जयशंकर से पूछा गया था कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में कितना वक्त लगेगा? उन्होंने कहा कि वह भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जब मैं कहता हूं कि मैं इस पर काम कर रहा हूं तो इसका मतलब है कि मैं इसे लेकर गंभीर हूं।’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं और इन देशों किसी भी प्रस्ताव पर वीटो करने का अधिकार प्राप्त है। समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है। इस बीच, विदेश मंत्री ने कहा कि हम मानते हैं कि बदलाव काफी समय से अपेक्षित है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र 80 वर्ष पहले की स्थितियों के परिणामस्वरूप बनी। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, यह दुनिया की सबसे घनी आबादी वाला देश होगा। उन्होंने कहा, ‘ऐसे देश का अहम वैश्विक परिषदों का हिस्सा न होना जाहिर तौर पर न केवल हमारे लिए बल्कि वैश्विक परिषद के लिए भी अच्छा नहीं है।’
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