नई दिल्ली: अस्पताल में उस मासूम की हालत गंभीर है, उसे मरने के लिए कूड़े के ढेर में फेंक दिया था। जन्म देने वाली मां हो या बाप या कोई और, 24 घंटे पहले जन्मी इस बच्ची को फेंकने वाले इंसान का कलेजा भी नहीं कांपा। अगर वह बोल पाती तो शायद यही सवाल करती कि मेरा कसूर क्या था? दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में कूड़े के ढेर से इस नवजात बच्ची को बचाया गया है। फिलहाल उसका एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। अस्पताल की ओर से बताया गया कि बच्ची बाहर खुले में बारिश में भीग रही थी और उसकी गर्भनाल भी नहीं काटी गई थी। वसंत कुंज में फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक बच्ची बेहद कमजोर और हाइपोथर्मिक अवस्था में थी। उसका अभी इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक बच्ची को रजोकरी गांव में हरिजन बस्ती से खोजा गया और स्थानीय पुलिस ने उसे अस्पताल की आपातकालीन इकाई में इलाज के लिए भर्ती कराया। अस्पताल ने कहा कि दो राहगीरों ने बच्ची को देखा था और पुलिस को इस बारे में सूचित किया। अस्पताल के मुताबिक बच्ची अभी गंभीर स्थिति में नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची का जन्म 24-48 घंटे पहले ही हुआ था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक शनिवार सुबह आठ बजकर 12 मिनट पर पुलिस को रजोकरी बस स्टैंड पर कूड़े में पड़ी एक बच्ची के मिलने की सूचना मिली थी। दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त मनोज सी के मुताबिक पुलिस मौके पर पहुंची। फोन करने वाले ने बताया कि उसने करीब तीन दिन की एक नवजात बच्ची को अपने घर के पास कूड़े के ढेर में पड़ा देखा। उसने पुलिस को फोन किया और कहा कि बारिश होने के कारण वह बच्ची को अपने घर ले गया। पुलिस उपायुक्त के मुताबिक इसके बाद बच्ची को पुलिस को सौंप दिया गया और फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज ले जाया गया, जहां उसका प्राथमिक उपचार चल रहा है और उसकी सेहत स्थिर है। कानून के तहत आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। डॉ. राहुल नागपाल, निदेशक और विभागाध्यक्ष, बाल रोग, फोर्टिस अस्पताल के नेतृत्व में चिकित्सकों की एक टीम बच्ची के स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है। (भाषा और एएनआई से इनपुट के साथ)
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