मॉस्को: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग अब 240 दिनों का आंकड़ा पूरा करने वाली है। फरवरी में शुरू इस जंग को अब आठ महीने होने वाले हैं। जहां चार यूक्रेन क्षेत्रों को रूस ने अपनी सीमा में मिलाने का ऐलान कर दिया था तो वहीं अग्रिम मोर्चे पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अब काफी खामोश से नजर आने लगे हैं। उनके रवैये को देखकर लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि आगे क्या होगा। मगर कहीं न कहीं उन्हें भी इस बात का आभास हो चुका है कि रूस अब इस जंग में शिकस्त की तरफ बढ़ रहा है। जीत की तरफ यूक्रेन! रूस के हथियार कम होते जा रहे हैं, सेना में फूट पड़ चुकी है, फाइटर जेट्स क्रैश हो रहे हैं और रूस का विदेशी मुद्रा भंडार भी अनिश्चितता की तरफ बढ़ रहा है। अब सर्दियों का आगाज होने वाला है और अब स्थितियां और मुश्किल हो सकती हैं। इसके बीच ही यूक्रेन की सेना ने देश के कई हिस्सों पर अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी है। इसके बाद कई विशेषज्ञ यूक्रेन को जीत का दावेदार बताने लगे हैं। क्याब सवाल उठने लगा है कि अगर रूस जंग हार गया तो क्या होगा? अटलांटिक काउंसिल थिंक टैंक से जुड़े एल्प सेविमिलीसॉय ने डेली मेल को बताया है कि अगर रूस यह जंग हारता है तो फिर पुतिन की सत्ता का भी अंत हो जाएगा। उन्हें उनके पद से हटा दिया जाएगा। रूस खुद भी बंट जाएगा और लूट मच जाएगी। इस वजह से नाटो और चीन का टकराव शुरू हो जाएगा। चीन से भी निबटना जरूरी उनका कहना है कि पश्चिमी देशों को भी उस स्थिति के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर देना चाहिए। अगर वो आज से रूस की हार के बाद की स्थितियों के लिए तैयार नहीं होंगे तो फिर चीन इसका फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगा। वह सर्बिया, मध्य एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में अपनी ताकत बढ़ाना शुरू कर देगा। ये वो हिस्से हैं जहां पर चीन के कदम पड़ चुके हैं लेकिन रूस के के जाने के बाद वह नए मौकों को तलाश करना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों को जीरो की तरफ से बढ़ाना होगा ताकि वह इसके प्रभाव का अंदाजा लगा सके और तभी चीन का सामना किया जा सकेगा। चीन इस समय वह देश है जो हर देश से जुड़ा हुआ है और ऐसे में उसे प्रभावी तरीके से जवाब देना होगा। कजाखस्तान से लेकर अर्मेनिया और अजरबैजान तक चीन अपने प्रभाव का फायदा उठाने में लग जाएगा। अविश्वसनीय है स्थितियां फरवरी में जब जंग शुरू हुई थी तो इस तरह के किसी भी परिदृश्य के बारे में किसी ने नहीं सोचा था। पश्चिमी देशों को लगा था कि यूक्रेन के लिए जंग मुश्किल होगी। बहुत कम लोगों का मानना था कि यूक्रेन, रूस से जीत सकता है। लेकिन यूक्रेन की मिलिट्री ने पूरी ताकत से रूस का सामना किया है। कुछ समय के बाद हर कोई मानने लगा था कि भले ही जंग को हफ्तों या महीने का समय लग जाएगा लेकिन वह रूस के सामने घुटने नहीं टेकेगा। क्यों हार रहा है रूस एक के बाद एक कई ऐसी घटनाएं जिन से पुतिन और उनके जनरल्स की नादानी ने रूस के सारे समीकरणों को बिगाड़ दिया। खराब तैयारी और योजना के अलावा भ्रष्टाचार ने भी रूस की कमर तोड़ दी। रूस का सैन्य भंडार भ्रष्टाचार की वजह से वो नतीजे नहीं दे सका जिसकी उम्मीद लगाई गई थी। सैनिकों का मनोबल भी गिरता गया और इन सारे कारकों ने यूक्रेन को जंग में जीत मिलने की उम्मीदें दे दीं। टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा रूस रूस हालांकि जंग में वापसी की कोशिशों में लगा हुआ है। उसकी सेना अभी कमजोर नहीं हुई है मगर भारी नुकसान ने उसे झुकने पर मजबूर कर दिया है। एल्प की मानें तो हो सकता है कि बस कुछ ही दिनों में रूस को जंग में हार का सामना करना पड़ जाए। अगर उसके कुछ और सैनिक पीछे हट तो फिर पुतिन को भी पीछे हटना पड़ेगा। एल्प का कहना है कि यूक्रेन उस एतिहासिक पल की तरफ बढ़ रहा है जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था। इस जंग के नतीजे के बाद हो सकता है रूस भी दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका की तरह बंट जाएं। हार नहीं झेल पाएंगे पुतिन एल्प का कहना है कि पुतिन के बिना रूस सिर्फ एक कोरी कल्पना है। उनका मानना है कि पुतिन इस जंग में मिली हार को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। इस जंग के बाद उनका कोई भविष्य नहीं रह जाएगा। वह किस मुंह से जनता का सामना करेंगे, यह सोचना भी मुश्किल है। ऊर्जा को उन्होंने हथियार की तौर पर प्रयोग किया है और ऐसे में वह देशों का सामना भी नहीं कर पाएंगे।
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