PM Modi's Act East Policy: इस साल भारत का 18 वां प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित होने जा रहा है. यह कार्यक्रम 8 जनवरी से 10 जनवरी तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 जनवरी को और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 9 जनवरी को इस समारोह में शामिल होंगे. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रवासी भारतीयों को जोड़ने, उनके अनुभव साझा करने और भारत के विकास में उनके योगदान को उजागर करने का है. इस साल का विषय "विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान" है, जो प्रवासी भारतीयों के विकास यात्रा में योगदान को मान्यता प्रदान करेगा.
ओडिशा को क्या फायदा
प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन ओडिशा की रणनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए काफी अहम साबित होगा. ओडिशा भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित है और इसकी ऐतिहासिक समुद्री व्यापार दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़ा है. ओडिशा राज्य के पास व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और निवेश के लिए अपार संभावनाएं हैं. ओडिशा का समुद्र तट, उत्कृष्ट बंदरगाह, और समृद्ध प्राकृतिक संसाधन अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आदर्श हैं.
ओडिशा का सामरिक महत्व बढ़ता जा रहा है, क्योंकि यह आसियान देशों के साथ गहरे संबंधों का पुल है, जो व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है. ओडिशा की विशाल तटरेखा और यहां का बंदरगाह निवेशकों के लिए नए अवसरों का रास्ता खोलते हैं, जो भारतीय महासागर क्षेत्र में व्यापार करना चाहते हैं. ओडिशा को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के व्यापारिक और आर्थिक विस्तार के एक प्रमुख केंद्र के रूप में देखा जा रहा है.
ओडिशा के औद्योगिक क्षेत्र में खनन, इस्पात, और समुद्री अर्थव्यवस्था में उत्कृष्टता के कारण यह राज्य तेजी से एक वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है. साथ ही, ओडिशा ने अपनी ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था, खेल अवसंरचना और कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए भी निवेशकों को आकर्षित किया है. कई प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियों ने ओडिशा में अपनी शाखाएं खोली हैं, जो राज्य के बढ़ते तकनीकी क्षेत्र का लाभ उठा रही हैं.
दुनिया में चमकेगा ओडिशा
भुवनेश्वर में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन ओडिशा की शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का एक बेहतरीन अवसर होगा. इस सम्मेलन के जरिए ओडिशा राज्य के विकास और समृद्धि को दुनिया के सामने लाया जाएगा. सम्मेलन के दौरान रामायण प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा, जो यह दर्शाएगा कि कैसे यह महाकाव्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों तक पहुंचा और वहां की संस्कृति का हिस्सा बना.
ओडिशा का इतिहास
ओडिशा का दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ सदियों पुराना सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहा है. ओडिशा के व्यापारी, भिक्षु और यात्री पहले भी इन देशों से जुड़े थे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान करते थे. ओडिशा के बाली और श्रीलंका के साथ गहरे संबंध इसकी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं. इन संबंधों को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से फिर से ताजगी मिल रही है.
ओडिशा हुआ महत्वपूर्ण
इस सम्मेलन से ओडिशा और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत किया जाएगा और यह सम्मेलन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और विकास यात्रा को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक अवसर बन जाएगा. ओडिशा की भूमिका इस पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण साबित होगी और राज्य का नाम अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश गंतव्य के रूप में उभरकर सामने आएगा. भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत ओडिशा की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुकी है और इस नीति के तहत राज्य का सहयोग भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया और अन्य वैश्विक बाजारों में अपनी पहचान बनाने में मदद करेगा.
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