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Saturday, March 29, 2025

जलती चिताओं के बीच श्मशान से निकलती ज्ञान की रोशनी, अप्पन पाठशाला की बच्चियों ने मैट्रिक परीक्षा में मारी बाजी

मुजफ्फरपुर: बिहार के एक श्मशान घाट पर जलती चिताओं के बीच, सुमित नाम के एक व्यक्ति ने कुछ बच्चों को फल और पैसे उठाते देखा। यह देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने उन बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। सुमित ने "अप्पन पाठशाला" नाम से एक स्कूल खोला। आज, उस स्कूल के 130 बच्चे हैं। इस साल, निधि, सलोनी और चांदनी नाम की तीन लड़कियों ने मैट्रिक (10वीं) की परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की है। यह खबर "अप्पन पाठशाला" और इन बच्चों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।

अप्पन पाठशाला मुजफ्फरपुर

सुमित कुमार "अप्पन पाठशाला" के संस्थापक हैं। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने स्कूल शुरू किया था, तब केवल 8-10 बच्चे थे। अब 130 बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहले यहां के बच्चे पढ़ते नहीं थे। वे सारा दिन श्मशान में खेलते रहते थे। सुमित कुमार ने बच्चों से पूछा था कि पढ़ते हो? बच्चों ने जवाब दिया कि पढ़कर क्या करेंगे? इस जवाब ने सुमित को अंदर तक हिला दिया। तभी उन्होंने इन बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया। वह उन्हें समझाना चाहते थे कि पढ़कर वे क्या-क्या कर सकते हैं।

मैट्रिक परीक्षा परिणाम

इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में पाठशाला में पढ़ने वाली निधि, सलोनी और चांदनी ने मैट्रिक की परीक्षा दी। तीनों लड़कियां फर्स्ट डिवीजन से पास हुईं। वे 'अप्पन पाठशाला' में पढ़ाई करती थीं। बिहार बोर्ड ने जब रिजल्ट जारी किया, तो बच्चे बहुत खुश हुए। वे एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किए। सुमित कुमार पिछले 8 सालों से इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं। रिजल्ट आने के बाद उन्हें बहुत खुशी हुई। उनका कहना है कि "अप्पन पाठशाला" के लिए यह अभी शुरुआत है। आगे चुनौतियां और भी हैं।

छात्राओं की इच्छा

मैट्रिक में पास होने वाली छात्राओं की इच्छा है कि वे इंजीनियर बनें। इसके लिए "अप्पन पाठशाला" कड़ी मेहनत करेंगी। चांदनी कुमारी को मैट्रिक परीक्षा में 337 अंक मिले हैं. वह फर्स्ट डिवीजन से पास हुई है। चांदनी कहती है कि वह इंजीनियर बनना चाहती है। लेकिन उसके घर की स्थिति ठीक नहीं है। उसके पिता ठेला चलाते हैं और उसी से उनका गुजारा होता है। चांदनी का कहना है कि उसे इंजीनियर बनना है लेकिन उसके घर की स्थिति ठीक नहीं है उनके पिता ठेला चलाते हैं और उसी में गुजर बसर करते हैं।

बच्चों के सपने

निधि कुमारी को 319 अंक मिले हैं। उसने भी फर्स्ट डिवीजन प्राप्त किया है। निधि भी इंजीनियर बनना चाहती है। वह आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं। लेकिन उसे "अप्पन पाठशाला" से उम्मीद है कि उसे तैयारी कराई जाएगी। निधि कुमारी का कहना है कि "उसे भी इंजीनियर बनना है। आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित है। लेकिन पाठशाला से उम्मीद है कि उसे तैयारी कराई जाएगी। सलोनी कुमारी को 316 अंक मिले हैं। वह भी इंजीनियर बनना चाहती है।


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