काबुल: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के यूएनजीए में दिए गए भाषण पर बवाल मचा हुआ है। अब तालिबान और दूसरे अफगान नेताओं ने उनके अफगानिस्तान पर लगाए गए आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में किसी भी सशस्त्र समूह की मौजूदगी नहीं है। तालिबान ने पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए यह भी कहा कि दुनिया को निराधार चिंताओं और आरोपों को उठाने के बजाय अपने विचारों और चिंताओं को साझा करने के लिए इस्लामी अमीरात के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ना चाहिए। वहीं, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान के लोगों, संस्कृति और विरासत के खिलाफ आतंकवाद का पोषण और इस्तेमाल कर रहा है। पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी सेना सभी आतंकवादियों को पनाह देने और समर्थन करने में तालिबान के ओवर परफॉर्मेंस से खुश नहीं है। तालिबान बोला- झूठा है दावा तालिबान ने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका समेत कुछ देशों ने इस बात की चिंता जताई है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद का खतरा अभी मौजूद है। गलत सूचना और स्रोतों के आधार पर इन चिंताओं को उठाया जा रहा है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान को अभी तक उसकी वैध और कानूनी सीट अफगान सरकार को सौंपनी है। अगर अफगान सरकार को यूएन में प्रतिनिधित्व दिया जाता है तो यह पूरे क्षेत्र के लिए एक अवसर उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात उन दावों को पूरी तरह से खारिज करता है और अपनी स्थिति दोहराता है कि अफगान जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा। तालिबान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में कोई भी हामिद करजई बोले- पाकिस्तान फैला रहा आतंकवाद वहीं, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का यूएनजीए में अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों की मौजूदगी के बारे में बयान दुर्भाग्यपूर्ण और असत्य है। तथ्य यह है कि पाकिस्तान सरकार दशकों से अफगानिस्तान के लोगों, संस्कृति और विरासत के खिलाफ आतंकवाद का पोषण और उपयोग कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान के लोगों की भलाई को कमजोर करने के लिए दुष्प्रचार और उग्रवाद का इस्तेमाल जारी रखना पाकिस्तान के हित में नहीं है। अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान और तालिबान पर साधा निशाना अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा कि ऐसा लगता है कि राविलपिंडी (पाकिस्तानी सेना) सभी आतंकवादियों को पनाह देने और समर्थन करने में तालिबान के अति-प्रदर्शन से खुश नहीं है। एक आतंकवादी प्रायोजक और एक आतंकवादी समूह के बीच झगड़ा दिलचस्प है। उन्होंने कहा कि पहली बात स्पष्ट है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान की स्थिति या तालिबान की उपस्थिति को कैश नहीं कर पाया है। शायद यह दुनिया को बेवकूफ बनाने और पाकिस्तानी सेना को पाक-साफ दिखाने का प्रयास है - जो संभव नहीं है। इंतजार करें।
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